झांसी अस्पताल में बेशर्मी, प्रशासन की बेशर्मी,चीख-पुकार के बीच मंत्री के स्वागत के लिए रंगाई

“अंदर बच्चे मर गए बाहर रंगाई-पुताई शुरू हो गई.. डिप्टी सीएम के स्वागत के लिए झांसी अस्पताल प्रशासन की बेशर्मी, भड़की कांग्रेस”

झांसी : उत्तर प्रदेश के झांसी जिले स्थित सरकारी अस्पताल का एक विवादित मामला सामने आया है, जिसमें अस्पताल प्रशासन ने एक तरफ डिप्टी मुख्यमंत्री के स्वागत के लिए रंगाई-पुताई करवाई, जबकि दूसरी ओर अस्पताल में इलाज के दौरान बच्चों की मौत हो गई। इस घटना ने अस्पताल प्रशासन की संवेदनहीनता को उजागर किया है और विपक्षी दलों को जोरदार हमला करने का मौका दिया है। कांग्रेस पार्टी ने इस मुद्दे पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की और इसे यूपी सरकार की लापरवाही और बेशर्मी करार दिया है।

विवाद की शुरुआत

झांसी के अस्पताल में हाल ही में कुछ बच्चों की मौत हुई थी, जो गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के कारण भर्ती थे। आरोप है कि अस्पताल प्रशासन ने इन मौतों के बावजूद डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के अस्पताल दौरे के स्वागत के लिए रंगाई-पुताई और साफ-सफाई का काम किया। यह कार्य तब हुआ जब अस्पताल में बच्चों की मौत के बाद परिजन और स्वास्थ्य सेवाओं से निराश लोग अस्पताल के बाहर खड़े थे।

इस मामले ने तब तूल पकड़ा जब अस्पताल में डिप्टी सीएम के आगमन की तैयारियों के दौरान, एक ओर जहां प्रशासन अस्पताल को चमकाने में जुटा था, वहीं दूसरी ओर बच्चों की मौत के कारण दुखी परिजनों को कोई ध्यान नहीं दिया गया।

कांग्रेस का आक्रोश

कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने इस घटना की कड़ी निंदा की है और इसे उत्तर प्रदेश सरकार की संवेदनहीनता और बेशर्मी का उदाहरण बताया है। कांग्रेस ने सवाल उठाया कि क्या अस्पताल प्रशासन को बच्चों की जान की कोई कीमत नहीं है, जबकि वे डिप्टी सीएम के स्वागत की तैयारी में व्यस्त थे?

कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, “जब अस्पताल में बच्चों की मौत हो रही थी, तब प्रशासन का ध्यान अस्पताल की रंगाई-पुताई में था। क्या यह सरकारी तंत्र की प्राथमिकताएं हैं? यह घटना दर्शाती है कि यूपी सरकार और उनके अफसर कितने संवेदनहीन हो चुके हैं।”

कांग्रेस ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार का ध्यान सिर्फ अपनी छवि को बेहतर बनाने और नेताओं के स्वागत पर केंद्रित है, जबकि आम जनता और खासकर बच्चों के जीवन से कोई वास्ता नहीं है।

अस्पताल प्रशासन का जवाब

अस्पताल प्रशासन ने इस पूरे मामले पर अपना बचाव करते हुए कहा कि रंगाई-पुताई का काम पहले से निर्धारित था और यह काम डिप्टी सीएम के दौरे से पहले शुरू हुआ था। प्रशासन ने दावा किया कि यह सभी कार्य अस्पताल के भीतर स्वच्छता और व्यवस्था बनाए रखने के लिए किए गए थे, और किसी भी तरह की लापरवाही नहीं बरती गई।

स्वास्थ्य सेवाओं का संकट

झांसी अस्पताल की यह घटना सिर्फ एक प्रशासनिक चूक नहीं, बल्कि प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं के व्यापक संकट की भी ओर इशारा करती है। राज्य सरकार की स्वास्थ्य योजनाओं के बावजूद, अस्पतालों में मरीजों को बेसहारी और स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव का सामना करना पड़ता है। विपक्षी दलों का आरोप है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने स्वास्थ्य विभाग को प्राथमिकता नहीं दी, जबकि वे चुनावी वादों और प्रचार में व्यस्त हैं।

झांसी के इस अस्पताल में बच्चों की मौत के कारण एक बार फिर प्रदेश के अस्पतालों में सुधार की जरूरत का मुद्दा उठने लगा है। जबकि डिप्टी सीएम के दौरे के दौरान किए गए रंगाई-पुताई के फैसले ने सरकार की छवि को धक्का पहुंचाया है।

आगे की राह

कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल अब सरकार से यह सवाल पूछ रहे हैं कि स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की दिशा में क्या कदम उठाए जा रहे हैं, ताकि इस तरह की घटनाओं से आम जनता को जूझना न पड़े। वहीं, इस मुद्दे ने राज्य सरकार के लिए एक और महत्वपूर्ण सवाल खड़ा किया है कि क्या वे चुनावी लाभ के लिए स्वास्थ्य सेवाओं को अनदेखा कर रहे हैं, जबकि आम लोग बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं।

More From Author

प्रयागराज में छात्रों का प्रदर्शन: यूपी सरकार को झुकने पर मजबूर किया, एक शिफ्ट में परीक्षा पर आयोग राजी

Delhi Pollution: दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण की जहरीली हवा में सांस लेना मतलब 49 सिगरेट पीने जैसा, कई इलाकों में AQI 1000 के पार