“ऐसा अनुमान है कि 2030 तक भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था देश की कुल अर्थव्यवस्था में लगभग पांचवें हिस्से के बराबर योगदान देगी, जो पारंपरिक क्षेत्रों की वृद्धि से कहीं ज्यादा होगी।”
दिनाँक 29/01/2025 नई दिल्ली
भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था की गति तेजी से बढ़ रही है। इसका मतलब है कि भारत में अब तक ज्यादातर क्षेत्रों में डिजिटल तकनीकों का उपयोग हो रहा है, जैसे कि बैंकिंग, खुदरा, शिक्षा, और लॉजिस्टिक्स। डिजिटल प्लेटफॉर्म और इंटरमीडियरीज के विकास से यहां की अर्थव्यवस्था को बड़ा फायदा हुआ है, जिससे नौकरियों में भी वृद्धि हुई है। भविष्य में, इससे अधिक क्षेत्रों में डिजिटलीकरण होने की संभावना है, जो देश की अर्थव्यवस्था के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देगा।
देश की डिजिटल अर्थव्यवस्था की 2022-23 में जीडीपी (31.64 लाख करोड़ रुपये या 402 बिलियन अमेरिकी डॉलर) में 11.74% हिस्सेदारी थी। उल्लेखनीय है, 14.67 मिलियन श्रमिकों (कार्यबल का 2.55%) को रोजगार देने वाली डिजिटल अर्थव्यवस्था बाकी अर्थव्यवस्था की तुलना में लगभग पांच गुना अधिक उत्पादक है। आईसीटी सेवाओं और मुख्य रूप से इलेक्ट्रॉनिक घटकों, कंप्यूटर और संचार उपकरणों के विनिर्माण जैसे डिजिटल रूप से सक्षम उद्योगों ने जीवीए (सकल मूल्य वर्धित) में 7.83% का योगदान दिया, जबकि डिजिटल प्लेटफॉर्म और इंटरमीडियरीज ने जीवीए में 2% योगदान दिया है।
ऐसा अनुमान है कि 2030 तक भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था देश की कुल अर्थव्यवस्था में लगभग पांचवें हिस्से के बराबर योगदान देगी, जो पारंपरिक क्षेत्रों की वृद्धि से कहीं ज्यादा होगी। गौरतलब हो कि पिछले एक दशक में, डिजिटल-सक्षम उद्योगों की वृद्धि दर 17.3% रही है, जो पूरी अर्थव्यवस्था की 11.8% वृद्धि दर से काफी ज़्यादा है।


