“प्रधानमंत्री ने साफ तौर पर कहा कि ये हमारा संविधान जीने का स्वभाव था, हमने तय किया कि भले मान्य विपक्ष नहीं होगा, लेकिन जो सबसे बड़े दल का नेता है, उसे मीटिंग्स में बुलाएंगे।”
दिनाँक 05/02/2025 नई दिल्ली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव का जवाब देते हुए कहा कि उनकी सरकार संविधान को केवल पढ़ती ही नहीं, बल्कि उसे जीती भी है। उन्होंने कहा कि संविधान में सिर्फ धाराएं नहीं हैं, बल्कि उसकी एक भावना भी है, जिसे समझना और अपनाना जरूरी है।
संविधान और विपक्ष पर टिप्पणी
मोदी ने कहा कि जब 2014 में उनकी सरकार आई थी, तब संसद में एक मान्य विपक्ष तक नहीं था। इसके बावजूद, उनकी सरकार ने विपक्ष के सबसे बड़े दल के नेता को महत्वपूर्ण बैठकों में शामिल किया, क्योंकि वे संविधान की भावना को जीते हैं। उन्होंने कहा कि सत्ता जब सेवा का माध्यम बनती है, तब राष्ट्र का निर्माण होता है, लेकिन जब सत्ता को सिर्फ विरासत समझा जाता है, तो लोकतंत्र खत्म होने लगता है।
अनुच्छेद 370 और जम्मू-कश्मीर
मोदी ने बताया कि उनकी सरकार ने अनुच्छेद 370 हटाकर जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लोगों को बाकी देश की तरह समान अधिकार दिए। उन्होंने इसे संविधान और वहां की जनता के साथ हुआ अन्याय बताया, जिसे उनकी सरकार ने खत्म किया।
जातिवाद और तुष्टिकरण पर प्रहार
प्रधानमंत्री ने कहा कि कुछ लोगों के लिए जातिवाद की राजनीति करना फैशन बन गया है। उन्होंने याद दिलाया कि ओबीसी सांसद 30 साल से ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा देने की मांग कर रहे थे, लेकिन तब किसी ने ध्यान नहीं दिया। उनकी सरकार ने यह काम किया, क्योंकि वे हर वर्ग को समान अधिकार देने में विश्वास रखते हैं।
विदेश नीति और इतिहास का जिक्र
मोदी ने विपक्ष को विदेश नीति पर गैर-जिम्मेदाराना बयानबाजी से बचने की सलाह दी। उन्होंने सुझाव दिया कि जो लोग विदेश नीति समझना चाहते हैं, वे “JFK’s Forgotten Crisis” किताब पढ़ें, जिसमें भारत के पहले प्रधानमंत्री नेहरू और अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ. केनेडी के बीच चर्चाओं का जिक्र है।
राष्ट्रपति का अपमान और अंबेडकर का योगदान
मोदी ने कहा कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू एक महिला और आदिवासी समाज से आती हैं, लेकिन कुछ लोग उनके पद की गरिमा का सम्मान नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि बाबा साहेब अंबेडकर का जल संसाधनों को लेकर बहुत व्यापक और दूरदर्शी दृष्टिकोण था, लेकिन कई सालों तक उनकी योजनाएं अधूरी रहीं। उनकी सरकार ने 10 से ज्यादा सिंचाई परियोजनाओं को पूरा किया ताकि किसानों के खेतों तक पानी पहुंच सके।
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में संविधान की मूल भावना, सामाजिक न्याय, विकास और राष्ट्रीय एकता को प्राथमिकता देने की बात कही। उन्होंने विपक्ष पर तुष्टिकरण और जातिवाद की राजनीति करने का आरोप लगाया और कहा कि उनकी सरकार संतुष्टिकरण के रास्ते पर चल रही है, जहां हर वर्ग को उसका हक मिले।


