Online और Quick Commerce के कारण किराना दुकानदारों को नुकसान, कारोबार बंद करने को मजबूर

“जोमैटो, स्विगी और जेप्टो जैसे प्लेटफॉर्म अब क्विक कॉमर्स में तेजी से बढ़ रहे हैं। इसके साथ ही बिग बास्केट, अमेजन जैसी कंपनियां भी इस क्षेत्र में शामिल हो रही हैं। अब लोग घर या ऑफिस से आसानी से ऑनलाइन ऑर्डर करके सामान मंगाने लगे हैं।”

दिनाँक 10/01/2025 नई दिल्ली

ऑनलाइन शॉपिंग के बाद अब क्विक कॉमर्स का बाजार भी तेजी से बढ़ रहा है। लोग खासकर बड़े शहरों में अब 10 मिनट में सामान की डिलीवरी वाले प्लेटफॉर्म जैसे जोमैटो, स्विगी, और जेप्टो के जरिए सामान मंगाने लगे हैं। इसके साथ ही बिग बास्केट, अमेजन जैसी कंपनियां भी इस क्षेत्र में सक्रिय हैं। लोग घर या ऑफिस से आसानी से ऑनलाइन ऑर्डर करके हर चीज, जैसे आटा, दाल, चावल से लेकर इलेक्ट्रॉनिक सामान भी मंगाने लगे हैं।

इसका सीधा असर पारंपरिक किराना दुकानों पर पड़ रहा है। लोग अब किराना स्टोर पर जाने के बजाय ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से सामान मंगाने को तरजीह देने लगे हैं। मिंट की रिपोर्ट के अनुसार, इसके कारण भारत में पारंपरिक किराना दुकानों की संख्या में कमी आई है। 2015-16 तक भारत का खुदरा बाजार 13 ट्रिलियन डॉलर का था, जिसमें 34% हिस्सा किराना उद्योग का था, लेकिन 2023-24 तक इसमें 22% की गिरावट आ सकती है।

इसके अलावा, कई बड़ी कंपनियां अब सीधे ग्राहकों तक सामान पहुंचाने की दिशा में कदम बढ़ा रही हैं, जैसे आईटीसी और हिंदुस्तान यूनिलीवर, जो बीच के एजेंटों को हटाने पर विचार कर रही हैं। इससे भी किराना दुकानों को नुकसान हो सकता है।

आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल लगभग 2 लाख किराना स्टोर बंद हो गए, जिनमें से मेट्रो शहरों में 45% और टियर वन शहरों में 30% दुकानों को बंद करना पड़ा।

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