उत्तर प्रदेश में पानी का संकट: दूषित जल से बढ़ रहीं बीमारियां

“दूषित पानी के सेवन से बच्चों और बुजुर्गों के स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ता है. लोगों को हड्डियों के कमजोर होने, त्वचा रोग, पेट की समस्याओं और अन्य संक्रमणों का सामना करना पड रहा हैं”

उत्तर प्रदेश के तीन प्रमुख शहरों, कानपुर, वाराणसी, और लखनऊ शहरों में दूषित जल आपूर्ति ने बीमारियों को जन्म दिया है, जिससे स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। प्रदेश में दूषित पानी की समस्या गंभीर होती जा रही है। इससे स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां बढ़ रही हैं, और स्थानीय प्रशासन स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कदम उठा रहा है।

समस्या के मुख्य कारण:

  1. पानी की गुणवत्ता में गिरावट:
    नगर निगम की जल आपूर्ति में अशुद्धता के कारण पीने के पानी में हानिकारक बैक्टीरिया और रसायन पाए जा रहे हैं।
  2. सीवेज प्रबंधन की कमी:
    जल निकासी व्यवस्था के अभाव में, सीवेज का गंदा पानी पेयजल स्रोतों में मिल रहा है, जिससे जल प्रदूषण बढ़ रहा है।
  3. नदियों का घटता जलस्तर:
    बारिश की कमी और जल प्रबंधन की समस्याओं के कारण नदियों और तालाबों का जलस्तर घटा है, जिससे पानी की उपलब्धता कम हो रही है।

स्वास्थ्य पर प्रभाव:

  • दूषित पानी के कारण डायरिया, हैजा और टाइफाइड जैसी बीमारियां तेजी से फैल रही हैं।
  • बच्चों और बुजुर्गों पर इसका प्रभाव विशेष रूप से अधिक देखा जा रहा है।

प्रशासनिक प्रयास:

राज्य सरकार ने प्रभावित इलाकों में नए वाटर फिल्टर प्लांट लगाने और पाइपलाइनों की मरम्मत का आदेश दिया है। साथ ही, जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं ताकि लोग पानी उबालकर पीने जैसे सुरक्षा उपाय अपनाएं।

समाधान की जरूरत:

स्थानीय निकायों को जल आपूर्ति और सीवेज प्रबंधन में सुधार करने के साथ-साथ दीर्घकालिक समाधान, जैसे वर्षा जल संचयन और नदियों की सफाई पर ध्यान देना होगा।

पानी की यह समस्या न केवल स्वास्थ्य बल्कि आर्थिक गतिविधियों और जीवन की गुणवत्ता को भी प्रभावित कर रही है। इसे तुरंत प्रभावी तरीके से सुलझाने की आवश्यकता है।

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