सीएजी रिपोर्ट में दिल्ली की स्वास्थ्य सेवाओं में भारी कुप्रबंधन और वित्तीय गड़बड़ियां

दिनाँक 01/03/2025 नई दिल्ली

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट में दिल्ली की सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में गंभीर अनियमितताओं का खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार, पिछले छह वर्षों में स्वास्थ्य सुविधाओं के विकास और प्रबंधन में भारी लापरवाही बरती गई है, जिससे मरीजों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ा।

कोविड-19 फंड का पूरा इस्तेमाल नहीं हुआ

सीएजी रिपोर्ट के मुताबिक, कोविड-19 से निपटने के लिए आवंटित 787.91 करोड़ रुपये में से केवल 582.84 करोड़ रुपये ही खर्च किए गए।

  • स्वास्थ्य कर्मियों की भर्ती और वेतन के लिए मिले 52 करोड़ में से 30.52 करोड़ खर्च ही नहीं हुए, जिससे कर्मचारियों की भारी कमी बनी रही।
  • 119.85 करोड़ रुपये दवाओं, पीपीई किट और मास्क के लिए मिले थे, लेकिन इनमें से 83.14 करोड़ रुपये खर्च नहीं हुए, जिससे चिकित्सा आपूर्ति में दिक्कतें आईं।

अस्पतालों में बिस्तरों की भारी कमी

  • दिल्ली सरकार ने 32,000 नए बिस्तर जोड़ने का वादा किया था, लेकिन सिर्फ 1,357 बिस्तर ही जोड़े गए।
  • बिस्तरों की कमी के कारण मरीजों को फर्श पर लेटने के लिए मजबूर होना पड़ा
  • तीन नए अस्पतालों के निर्माण में देरी हुई, जिससे कुल लागत 382.52 करोड़ रुपये बढ़ गई।
  • दिल्ली के अस्पतालों और स्वास्थ्य विभागों में 8,194 पद खाली हैं। डॉक्टरों की 50-74% तक कमी है और कुछ अस्पतालों में नर्सों की 73-96% तक कमी पाई गई।

जरूरी इलाज के लिए लंबा इंतजार

  • लोक नायक अस्पताल (LNJP) में सामान्य सर्जरी के लिए 2-3 महीने और बर्न सर्जरी के लिए 6-8 महीने का इंतजार करना पड़ता है।
  • सीएनबीसी अस्पताल में बच्चों की सर्जरी के लिए 12 महीने तक का इंतजार है और 10 महत्वपूर्ण मशीनें खराब पड़ी हैं।
  • राजीव गांधी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में 6 ऑपरेशन थिएटर, आईसीयू बेड और 77 प्राइवेट कमरे बेकार पड़े हैं।
  • जनकपुरी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में भी 7 ऑपरेशन थिएटर, ब्लड बैंक और 200 बेड काम नहीं कर रहे।

अस्पतालों में जरूरी सुविधाओं की कमी

  • दिल्ली के 27 अस्पतालों में से 14 में आईसीयू, 16 में ब्लड बैंक, 8 में ऑक्सीजन सप्लाई और 15 में शवगृह नहीं है।
  • CATs एंबुलेंस में जरूरी जीवन रक्षक उपकरणों की कमी है, जिससे मरीजों की सुरक्षा पर खतरा बढ़ गया है।
  • मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य निधि का 58.9% से 93.03% तक हिस्सा खर्च ही नहीं हुआ।
  • सिर्फ 30% गर्भवती महिलाओं को निःशुल्क आहार और नैदानिक सुविधाएं मिलीं।
  • 40.54% माताओं को प्रसव के 48 घंटे के भीतर अस्पताल से छुट्टी दे दी गई, जिससे उनकी सेहत पर खतरा बढ़ा।
  • अस्पतालों को 33-47% जरूरी दवाइयां खुद खरीदनी पड़ीं, क्योंकि केंद्रीय खरीद एजेंसी (CPA) पूरी दवाइयां उपलब्ध कराने में विफल रही।

बदहाल हालत में मोहल्ला क्लीनिक

  • 21 मोहल्ला क्लीनिक में शौचालय नहीं थे, 15 में बिजली बैकअप नहीं था, और 12 में दिव्यांग मरीजों के लिए उचित सुविधाएं नहीं थीं।
  • डिस्पेंसरी में बिजली बैकअप, शौचालय और पानी की सुविधाओं की भारी कमी पाई गई।

निष्कर्ष

सीएजी की रिपोर्ट में दिल्ली की स्वास्थ्य सेवाओं में लापरवाही और कुप्रबंधन की पोल खोल दी है। बजट का सही इस्तेमाल न होने, अस्पतालों में जरूरी सुविधाओं की कमी और कर्मचारियों की भारी कमी के कारण मरीजों को गंभीर दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

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