“रिपोर्ट में कहा गया है कि शराब नीति अपने लक्ष्यों को हासिल करने में नाकाम रही और आप नेताओं को कथित तौर पर रिश्वत से फायदा हुआ। इसमें यह भी बताया गया कि तत्कालीन उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की अगुवाई वाले मंत्रियों के समूह (जीओएम) ने विशेषज्ञों की सिफारिशों को नजरअंदाज कर दिया।”
दिनाँक 11/01/2025 नई दिल्ली
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट में दिल्ली सरकार की शराब नीति में गंभीर खामियों और अनियमितताओं का खुलासा हुआ है, जिसके कारण सरकारी खजाने को 2,026 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। रिपोर्ट के अनुसार, शराब नीति के तहत लाइसेंस जारी करने में गड़बड़ियां, नियमों का उल्लंघन और नीतिगत विचलन हुए। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह नीति अपने उद्देश्यों को हासिल करने में असफल रही और आप नेताओं को कथित तौर पर रिश्वत से फायदा हुआ। इसमें यह भी उल्लेख किया गया कि विशेषज्ञ पैनल की सिफारिशों को मनीष सिसोदिया के नेतृत्व वाले मंत्रियों के समूह (GoM) ने नजरअंदाज कर दिया।
नवंबर 2021 में पेश की गई इस नीति का मकसद दिल्ली में शराब के खुदरा कारोबार को सुधारना और राजस्व बढ़ाना था। हालांकि, इसमें भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगे, जिसके चलते प्रवर्तन निदेशालय (ED) और सीबीआई ने जांच शुरू की। इस मामले में अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और संजय सिंह सहित कई आप नेताओं को गिरफ्तार किया गया, हालांकि बाद में उन्हें जमानत मिल गई। CAG रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि शिकायतों के बावजूद सभी संस्थाओं को बोली लगाने की अनुमति दी गई। बोली लगाने वालों की वित्तीय स्थिति की जांच नहीं हुई, और घाटे में चल रही कंपनियों को भी लाइसेंस नवीनीकरण की इजाजत दी गई। रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि नियमों का उल्लंघन करने वालों को दंडित नहीं किया गया और नीति से जुड़े कई फैसले बिना कैबिनेट या उपराज्यपाल की मंजूरी के लिए गए।
इसके अलावा, नए नियमों को विधानसभा में पेश करने की प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि कुछ खुदरा विक्रेताओं ने नीति की समाप्ति तक अपने लाइसेंस रखे, जबकि कुछ ने पहले ही सरेंडर कर दिए। कुल मिलाकर, CAG ने नीति के कार्यान्वयन में गंभीर खामियों और भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है।


