“PM नरेंद्र मोदी कुवैत के शेख मेशाल अल अहमद अल जबार अल सबाह के निमंत्रण पर कुवैत गए हैं। यह पिछले 43 सालों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री का पहला कुवैत दौरा है।”
दिनाँक 21/12/2024 नई दिल्ली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुवैत में भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि यह उनके लिए एक खास पल है। उन्होंने बताया कि 43 साल बाद कोई भारतीय प्रधानमंत्री कुवैत आया है। पीएम मोदी ने मजाकिया अंदाज में कहा कि भारत से कुवैत पहुंचने में सिर्फ चार घंटे लगते हैं, लेकिन प्रधानमंत्री को यहां आने में चार दशक लग गए।
उन्होंने भारत और कुवैत के गहरे ऐतिहासिक संबंधों का जिक्र करते हुए कहा कि भारत उन पहले देशों में था जिसने कुवैत की स्वतंत्रता को मान्यता दी थी। पीएम ने कुवैत की सरकार और वहां के लोगों का आभार जताया और बताया कि यह उनके लिए एक यादगार दौरा है।
मोदी ने बताया कि 60-65 साल पहले कुवैत में भारतीय रुपये चलन में थे, जैसे भारत में हैं। उन्होंने कहा कि कुवैत और भारत के व्यापारिक रिश्ते पुराने हैं। कुवैत के व्यापारी 19वीं शताब्दी में सूरत आते थे, जो उस समय कुवैत के मोतियों का अंतरराष्ट्रीय बाजार था। कुवैत के कई व्यापारियों ने मुंबई, कोलकाता, पोरबंदर और गोवा में अपने ऑफिस खोले थे।प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और कुवैत का रिश्ता केवल कूटनीति तक सीमित नहीं है, बल्कि यह दिल और संस्कृति का रिश्ता है।
दोनों देश अरब सागर के किनारों पर बसे हैं और उनके बीच व्यापार, सभ्यता और स्नेह का गहरा संबंध है। उन्होंने बताया कि एक समय था जब कुवैत से मोती, खजूर और घोड़े भारत आते थे, और भारत से चावल, चाय, मसाले, कपड़े और लकड़ी कुवैत भेजी जाती थी।उन्होंने इस रिश्ते की महत्ता को उजागर करते हुए कहा कि कुवैत के मोतियों का भारत की ज्वैलरी इंडस्ट्री में भी बड़ा योगदान रहा है। उनके अनुसार, भारत और कुवैत का संबंध न केवल वर्तमान में बल्कि इतिहास में भी मजबूत रहा है।


