दिनाँक 26/04/2025 नई दिल्ली
नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है। इस हमले में 26 लोगों की मौत के बाद भारत ने 1960 की सिंधु जल संधि को निलंबित करने का बड़ा फैसला लिया है।
इस संधि के तहत अब तक भारत और पाकिस्तान के बीच नदियों का पानी बंटता था। भारत को तीन पूर्वी नदियों — रावी, ब्यास और सतलुज — का पूरा हक था, जबकि पाकिस्तान को तीन पश्चिमी नदियों — सिंधु, झेलम और चिनाब — से पानी मिलता था।
अब भारत ने पाकिस्तान को एक औपचारिक पत्र भेजकर संधि निलंबित करने और इसके पीछे का कारण बताया है। इसमें कहा गया है कि पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा देता है, इसलिए अब भारत इस संधि का पालन नहीं करेगा।
क्या कहा जल शक्ति मंत्री ने?
केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल ने कहा, “हम ये सुनिश्चित करेंगे कि सिंधु नदी का एक बूंद पानी भी पाकिस्तान न जाए।” यह बयान गृह मंत्री अमित शाह के घर पर हुई एक अहम बैठक के बाद आया, जिसमें देश के बड़े अधिकारी शामिल हुए थे।
कैसे रोकेगा भारत पानी?
सरकार ने इस फैसले पर तुरंत अमल करने के निर्देश दिए हैं। अधिकारियों ने बताया कि इसके लिए तुरंत, मीडियम और लंबे समय के लिए प्लान बनाया गया है।
- कुछ बांधों और जल परियोजनाओं का पानी अब भारत के अपने राज्यों में इस्तेमाल किया जाएगा।
- धीरे-धीरे वो तकनीकी इंतजाम किए जाएंगे, जिससे पाकिस्तान जाने वाला पानी रोका जा सके।
- नई जल संरचनाओं का भी प्लान तैयार किया जाएगा।
क्यों खास है सिंधु जल संधि?
ये संधि 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुई थी, जिसकी मध्यस्थता विश्व बैंक ने कराई थी। इसके बावजूद तीन युद्ध और कई तनावपूर्ण हालात के बीच भी ये संधि बनी रही। अब पहली बार भारत ने इसे औपचारिक तौर पर निलंबित किया है।
सरकार के इस फैसले को पहलगाम हमले के जवाब में एक बड़ा कूटनीतिक कदम माना जा रहा है।


