दिनाँक 07/05/2025 नई दिल्ली
नई दिल्ली, 07 मई — भारत का बहुप्रतीक्षित मानव अंतरिक्ष मिशन ‘गगनयान’ अब अपने आखिरी चरण में पहुंच चुका है। केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने मंगलवार को बताया कि भारत 2027 की पहली तिमाही में अपने अंतरिक्ष यात्रियों को देशी रॉकेट के जरिए अंतरिक्ष में भेजेगा।
नेशनल मीडिया सेंटर, दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान डॉ. सिंह ने बताया कि इस मिशन के तहत पहले कई मानव रहित परीक्षण सफलतापूर्वक हो चुके हैं। इनमें TV-D1 (टेस्ट व्हीकल डेमो-1) शामिल है। अब अगला परीक्षण TV-D2 इसी साल के अंत तक होगा, जिसके बाद मानव रहित ऑर्बिटल फ्लाइट्स की तैयारी की जाएगी।
LVM3 रॉकेट और अन्य सिस्टम की टेस्टिंग लगभग पूरी
डॉ. सिंह ने जानकारी दी कि मिशन के लिए LVM3 रॉकेट, क्रू एस्केप सिस्टम, क्रू मॉड्यूल और सर्विस मॉड्यूल की टेस्टिंग और इंटीग्रेशन अंतिम चरण में हैं। भारतीय नौसेना के साथ समुद्री रिकवरी ट्रायल भी किए जा चुके हैं और आगे और भी अभ्यास होंगे।
अंतरिक्ष में भारत की बड़ी छलांग
डॉ. सिंह ने कहा, “यह सिर्फ एक वैज्ञानिक मिशन नहीं, बल्कि भारत के अंतरिक्ष शक्ति के रूप में उभरने का प्रतीक है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कम लागत में बड़ी उपलब्धि हासिल करने की नीति का नतीजा है।”
उन्होंने याद दिलाया कि पीएम मोदी पहले ही 2035 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन और 2040 तक भारतीय को चंद्रमा पर भेजने का एलान कर चुके हैं।
भारतीय वायुसेना के 4 पायलट बनेंगे पहले अंतरिक्ष यात्री
डॉ. सिंह ने बताया कि भारतीय वायुसेना के चार पायलट जो भविष्य के अंतरिक्ष यात्री होंगे, वे रूस में ट्रेनिंग पूरी कर भारत लौट चुके हैं और अब यहां मिशन से जुड़ा विशेष प्रशिक्षण ले रहे हैं। उनकी सेहत, मानसिक स्थिति और ऑपरेशनल तैयारी पर खास नजर रखी जा रही है।
कम लागत में हाईटेक मिशन
डॉ. सिंह ने बताया कि यह मिशन अन्य देशों की तुलना में बेहद कम खर्च में तैयार हो रहा है, और इससे देश के रॉबोटिक्स, मेडिकल साइंस, इलेक्ट्रॉनिक्स और मटेरियल साइंस के क्षेत्र में जबरदस्त विकास हुआ है। इसके साथ ही भारतीय स्टार्टअप्स और इंडस्ट्री को भी बड़ी मदद मिली है।
ISRO प्रमुख डॉ. वी. नारायणन ने भी गगनयान को “भारत का मिशन” बताते हुए कहा कि ये देश को आत्मनिर्भर अंतरिक्ष शक्ति बनने की दिशा में आगे ले जा रहा है।
जल्द ही भारत उन चुनिंदा देशों की लिस्ट में होगा, जिनके पास अपनी मानव अंतरिक्ष उड़ान की क्षमता है।


