क्या बिहार चुनाव में JDU को मुस्लिम वोटों की परवाह नहीं? वक्फ बिल का समर्थन नीतीश के लिए नुकसानदेह नहीं!

दिनाँक 08/04/2025 नई दिल्ली

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) यानी जेडीयू इन दिनों वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 को समर्थन देने को लेकर आंतरिक विवाद में घिरी हुई है। पार्टी के कई मुस्लिम नेताओं ने बिल के विरोध में इस्तीफा दे दिया है। इस्तीफा देने वालों में नदीम अख्तर, राजू नैयर, तबरेज सिद्दीकी अलीग, शाहनवाज मलिक और कासिम अंसारी जैसे नेता शामिल हैं।

हालांकि, पार्टी ने नुकसान को रोकने के लिए शनिवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की, जिसमें कुछ मुस्लिम नेताओं को सामने लाकर डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश की गई। लेकिन बिल अब कानून बन चुका है क्योंकि इसे राष्ट्रपति की मंजूरी भी मिल चुकी है। बिल पास होने से पहले ही नीतीश कुमार की इफ्तार पार्टी का मुस्लिम संगठनों ने बहिष्कार किया था। इसमें ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, इमारत-ए-शरिया, और जमीयत उलेमा-ए-हिंद जैसे संगठन शामिल थे।

अब सवाल उठ रहा है कि इस बिल को समर्थन देने का असर आगामी बिहार विधानसभा चुनाव 2025 पर क्या होगा? जेडीयू को करीब 12% निश्चित वोट शेयर मिलता है। अगर वह बीजेपी के साथ होती है तो उसे उच्च जाति, ओबीसी और ईबीसी वोट मिलते हैं, वहीं आरजेडी के साथ रहते हुए मुस्लिम-यादव वोट। नीतीश कुमार का दावा है कि उन्होंने बिहार के मुसलमानों के लिए कई काम किए हैं, लेकिन आज की स्थिति में उनका मुस्लिम समर्थन बहुत कमजोर हो चुका है। इसके बावजूद वक्फ बिल को समर्थन देना एक सोचा-समझा राजनीतिक जोखिम माना जा रहा है।

जेडीयू का मजबूत पक्ष यह है कि उसका वोट शेयर स्थिर रहता है और गठबंधन के हिसाब से उसका समर्थन आधार बदलता है। इसलिए पार्टी मानती है कि गठबंधन सहयोगियों को उससे कोई नुकसान नहीं होता।

अब देखना होगा कि वक्फ बिल को समर्थन देना नीतीश कुमार के लिए राजनीतिक फायदा लेकर आता है या चुनावी नुकसान।

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