पुराने वाहनों पर लगे प्रतिबंध को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंची दिल्ली सरकार

दिनाँक 26/07/2025 नई दिल्ली

दिल्ली-एनसीआर में 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों पर लगे प्रतिबंध को लेकर एक बार फिर से हलचल तेज हो गई है। इस बार दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है और 2018 के उस ऐतिहासिक आदेश पर पुनर्विचार की मांग की है, जिसमें इन पुराने वाहनों को सड़कों से हटाने के निर्देश दिए गए थे।

दिल्ली सरकार का कहना है कि यह आदेश न तो किसी वैज्ञानिक अध्ययन पर आधारित था और न ही पर्यावरणीय मूल्यांकन पर। सरकार ने कोर्ट में दाखिल अपने आवेदन में कहा है कि अब प्रदूषण नियंत्रण के लिए कई कड़े उपाय लागू किए जा चुके हैं, जिनमें PUC (प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र) प्रणाली को सख्ती से लागू करना और BS-VI मानकों को अपनाना शामिल है।

2018 के आदेश के दुष्परिणामों पर चिंता

सरकार ने जोर देकर कहा कि पुराने नियमों का असर उन हजारों वाहन मालिकों पर पड़ रहा है जो नियमों का पालन कर रहे हैं। तकनीकी रूप से फिट और कम प्रदूषण फैलाने वाले वाहन भी बंद करने को मजबूर हो रहे हैं, जो सामाजिक और आर्थिक दोनों दृष्टिकोण से अनुचित है।

इलेक्ट्रिक वाहनों और स्वच्छ ईंधन को बढ़ावा

दिल्ली सरकार ने यह भी बताया कि वह स्वच्छ ईंधन, इलेक्ट्रिक वाहनों, और वाहनों की फिटनेस जांच जैसे उपायों को पहले ही लागू कर चुकी है। ऐसे में अब पुराने आदेश की प्रासंगिकता पर सवाल उठता है।

क्या बदलेगा सुप्रीम कोर्ट का रुख?

अब सभी की नजर सुप्रीम कोर्ट पर है कि वह दिल्ली सरकार की याचिका को कैसे देखता है। अगर कोर्ट पुराने आदेश में संशोधन करता है, तो हजारों वाहन मालिकों को राहत मिल सकती है। वहीं, यदि आदेश जस का तस रहता है, तो लाखों गाड़ियां सड़कों से हटाई जा सकती हैं।

यह मामला सिर्फ पर्यावरण या कानून से जुड़ा नहीं है, बल्कि आम लोगों की जिंदगी और रोजगार पर भी सीधा असर डालता है। आने वाले दिनों में इस याचिका पर होने वाली सुनवाई राष्ट्रीय स्तर पर अहम असर डाल सकती है।

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