दिनाँक 08/05/2025 नई दिल्ली
भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव के माहौल में भारत अपनी सैन्य ताकत को और मज़बूत करने जा रहा है। दुनिया की सबसे तेज़ और ताकतवर मानी जाने वाली सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ‘ब्रह्मोस’ अब उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बनेगी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ड्रीम प्रोजेक्ट डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के तहत लखनऊ में 11 मई को ब्रह्मोस मिसाइल निर्माण यूनिट का उद्घाटन होगा। करीब 300 करोड़ रुपये की लागत से बनी यह यूनिट भारत की आत्मनिर्भर रक्षा प्रणाली की दिशा में बड़ा कदम है। सबसे खास बात यह है कि योगी सरकार ने दिसंबर 2021 में इस प्रोजेक्ट के लिए 80 हेक्टेयर ज़मीन मुफ्त में दी थी। सिर्फ साढ़े तीन साल में इस यूनिट को तैयार कर लेना उत्तर प्रदेश सरकार की प्रतिबद्धता को दिखाता है।
यूपीडा के एसीईओ श्रीहरि प्रताप शाही ने बताया कि सीएम योगी की मंशा के मुताबिक इस यूनिट के विकास पर लगातार नज़र रखी गई। लखनऊ नोड पर अब ब्रह्मोस के साथ-साथ अन्य डिफेंस इक्विपमेंट भी बनाए जाएंगे, जिससे उत्तर प्रदेश का नाम देश के डिफेंस सेक्टर में और ऊँचा होगा।
भारत की सेना को नई ताकत
उत्तर प्रदेश में ब्रह्मोस मिसाइल बनने से भारत की सैन्य ताकत को नई धार मिलेगी। खास तौर पर पाकिस्तान के साथ चल रहे तनाव के बीच यह कदम काफी अहम माना जा रहा है। इससे उत्तर प्रदेश देश की सुरक्षा और रक्षा में सीधी भागीदारी निभाएगा। यह यूनिट राज्य की पहली हाई-टेक और आधुनिक मिसाइल मैन्युफैक्चरिंग यूनिट होगी, जिससे डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर को भी मजबूती मिलेगी।
रोजगार और आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा
इस प्रोजेक्ट से राज्य में रोजगार के भी नए अवसर बनेंगे। करीब 500 इंजीनियर और टेक्नीशियन को सीधे काम मिलेगा। इसके अलावा, हज़ारों कुशल, अर्द्धकुशल और सामान्य लोगों को भी अप्रत्यक्ष रूप से रोज़गार मिलेगा।
भारत-रूस का ज्वाइंट वेंचर है ब्रह्मोस
बता दें, ब्रह्मोस एयरोस्पेस भारत सरकार के DRDO और रूस की NPOM कंपनी का संयुक्त उपक्रम है। इसका नाम भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मॉस्कवा नदी के नाम पर रखा गया है। भारत की ओर से इस प्रोजेक्ट में 50.5% हिस्सेदारी और रूस की तरफ से 49.5% हिस्सेदारी है। यह भारत का किसी विदेशी सरकार के साथ किया गया पहला रक्षा ज्वाइंट वेंचर है। ब्रह्मोस एयरोस्पेस मिसाइल के डिजाइन, विकास, निर्माण और मार्केटिंग की ज़िम्मेदारी संभालता है, जिसमें भारतीय और रूसी इंडस्ट्रीज़ भी हिस्सा लेती हैं।


