मुंबई में मराठी-हिंदी विवाद पर गरमाया माहौल, राज और उद्धव ठाकरे एक साथ मोर्चे में शामिल

दिनाँक 09/07/2025 नई दिल्ली

मुंबई और उसके उपनगरों में इन दिनों मराठी और हिंदी भाषा को लेकर माहौल गरमाया हुआ है। मराठी अस्मिता (गौरव) के मुद्दे पर राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) और उद्धव ठाकरे की शिवसेना (UBT) एक खेमे में नजर आ रही हैं। हालाँकि, दोनों दलों ने बीएमसी (मुंबई महानगरपालिका) चुनाव के लिए किसी गठबंधन की आधिकारिक घोषणा अब तक नहीं की है।

आज मीरा-भायंदर में इसी मुद्दे पर निकाले गए मोर्चे में दोनों पार्टियों के नेता और कार्यकर्ता एक साथ जुटे। इससे पहले 5 जुलाई को भी मुंबई में करीब दो दशक बाद राज और उद्धव ठाकरे एक मंच पर आए थे।

इस मोर्चे में मनसे नेता संदीप देशपांडे, पूर्व विधायक नितीन सरदेसाई और शिवसेना (UBT) के पूर्व सांसद राजन विचारे समेत बड़ी संख्या में कार्यकर्ता शामिल हुए।

गठबंधन पर कांग्रेस की क्या राय?
महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने कहा कि कांग्रेस और शिवसेना (UBT) संविधान की रक्षा के लिए साथ आए हैं। भविष्य में राज ठाकरे के साथ गठबंधन होगा या नहीं, इस पर वक्त आने पर फैसला किया जाएगा। कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने भी कहा कि कांग्रेस सिर्फ उद्धव ठाकरे से ही गठबंधन की बात करेगी।

हालांकि कांग्रेस का एक बड़ा वर्ग चाहता है कि पार्टी इस बार निकाय चुनाव में अकेले उतरकर उन इलाकों में अपनी खोई जमीन फिर से हासिल करे, जहां बीजेपी मजबूत होती जा रही है।

मराठी अस्मिता बन रहा बड़ा चुनावी मुद्दा
जल्द ही मुंबई महानगरपालिका चुनाव की घोषणा हो सकती है। ऐसे में मराठी अस्मिता का मुद्दा राजनीतिक रूप से काफी अहम बन गया है। देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में यह मुद्दा किसे ज्यादा फायदा देगा और इसका महाराष्ट्र की राजनीति और निकाय चुनावों पर क्या असर पड़ेगा।

बता दें, महाराष्ट्र के 29 नगर निगम, 248 नगर परिषद, 32 जिला परिषद और 336 पंचायत समिति के चुनाव इस साल के आखिर या अगले साल की शुरुआत में कराए जाने हैं। ये चुनाव राज्य की राजनीति और 2029 विधानसभा चुनाव से पहले काफी अहम माने जा रहे हैं।

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