दिनाँक 04/04/2025 नई दिल्ली
सोशल मीडिया पर घिबली-स्टाइल एआई इमेज जनरेटर ने धूम मचा दी है। लोग अपनी तस्वीरों को मशहूर जापानी एनीमेशन स्टूडियो स्टूडियो घिबली की स्टाइल में बदलकर शेयर कर रहे हैं। आम यूजर्स से लेकर सेलिब्रिटीज तक इस ट्रेंड को पसंद कर रहे हैं। एलन मस्क के AI चैटबॉट “Grōk” में भी यह फीचर मुफ्त में उपलब्ध है, जिससे यूजर्स घिबली-स्टाइल इमेज बना सकते हैं।
प्राइवेसी एक्टिविस्टों की चेतावनी
हालांकि, इस फीचर की आलोचना भी हो रही है। डिजिटल प्राइवेसी एक्टिविस्टों ने चेतावनी दी है कि यह सिर्फ एक मजेदार फीचर नहीं, बल्कि AI प्रशिक्षण के लिए उपयोगकर्ताओं की तस्वीरें इकट्ठा करने का एक तरीका हो सकता है। आलोचकों का कहना है कि लोग अनजाने में अपनी निजी छवियों का डेटा OpenAI को सौंप रहे हैं, जिससे उनकी प्राइवेसी को खतरा हो सकता है।
GDPR और कानूनी अड़चनें
यूरोप के GDPR (जनरल डेटा प्रोटेक्शन रेगुलेशन) के मुताबिक, OpenAI को किसी भी तरह की तस्वीरें इकट्ठा करने के लिए एक वैध कानूनी आधार साबित करना होगा। इसका मतलब है कि कंपनी को डेटा सुरक्षा, पारदर्शिता और उपयोगकर्ताओं के अधिकारों का सम्मान करना होगा।
विशेषज्ञों की राय
AI, टेक एंड प्राइवेसी एकेडमी की सह-संस्थापक लुइज़ा जारोव्स्की ने इस मुद्दे पर अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि जब यूजर्स खुद अपनी तस्वीरें अपलोड करते हैं, तो वे OpenAI को इसे इस्तेमाल करने की सहमति भी दे देते हैं। इस वजह से GDPR के कुछ नियम उन पर लागू नहीं होते और OpenAI को ज्यादा छूट मिल जाती है।
डेटा सुरक्षा को लेकर बढ़ती चिंताएं
यह मामला सिर्फ AI कॉपीराइट का नहीं, बल्कि OpenAI की डेटा संग्रह रणनीति का भी है। सवाल यह है कि क्या यह फीचर वास्तव में सिर्फ एंटरटेनमेंट के लिए है, या फिर इसके पीछे यूजर्स के डेटा को इकट्ठा करने की बड़ी योजना है? डेटा सुरक्षा के इस मुद्दे पर अब कड़ी नजर रखी जा रही है।


