दिनाँक 26/06/2025 नई दिल्ली
कल देश में आपातकाल लगाए जाने के 50 साल पूरे हो गए हैं। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे भारत के लोकतांत्रिक इतिहास का सबसे काला अध्याय बताया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा कि आज का दिन भारतीय संविधान की हत्या का दिन माना जाता है। उस समय न सिर्फ मौलिक अधिकार छीने गए थे, बल्कि प्रेस की आज़ादी भी खत्म कर दी गई थी और हजारों नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं, छात्रों और आम नागरिकों को जेल में डाल दिया गया था।
पीएम मोदी ने कहा कि ऐसा लग रहा था मानो सत्ता में बैठी कांग्रेस सरकार ने पूरे लोकतंत्र को गिरफ़्तार कर लिया हो। उन्होंने आपातकाल के खिलाफ डटे रहने वाले सभी लोगों को सलाम करते हुए कहा कि देशभर के अलग-अलग विचारधाराओं के लोगों ने एकजुट होकर लोकतंत्र की रक्षा के लिए संघर्ष किया। इसी सामूहिक प्रयास से उस वक्त की सरकार को चुनाव कराने पर मजबूर होना पड़ा, जिसमें उन्हें करारी हार मिली।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने पोस्ट में ये भी बताया कि जब आपातकाल लगाया गया था, तब वे आरएसएस के युवा प्रचारक थे। उस दौर का आंदोलन उनके लिए एक बड़ा सीखने का अनुभव रहा। उन्होंने कहा कि इस दौरान अलग-अलग राजनीतिक विचारधाराओं के लोगों से सीखने को भी मिला।
पीएम मोदी ने बताया कि ब्लूक्राफ्ट डिजिटल फाउंडेशन ने उस दौर के अनुभवों को एक किताब ‘द इमरजेंसी डायरीज’ में संकलित किया है, जिसकी प्रस्तावना पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवेगौड़ा ने लिखी है। पीएम मोदी ने देशवासियों से अपील की कि जिन लोगों ने उस दौर को देखा या उनके परिवारों ने कष्ट झेले, वे अपने अनुभव सोशल मीडिया पर जरूर साझा करें। इससे युवाओं को 1975 से 1977 तक के उस कठिन समय के बारे में जानने और समझने का मौका मिलेगा।


