दिनाँक 19/05/2025 नई दिल्ली
भारत के तीन पड़ोसी देश — पाकिस्तान, चीन और अफगानिस्तान — 20 मई को बीजिंग में एक अहम बैठक करने जा रहे हैं। इस बैठक में पाकिस्तान के उपप्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इस्हाक डार, चीन के प्रधानमंत्री ली क्यांग और अफगानिस्तान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी एक साथ मंच साझा करेंगे।
इस मीटिंग का फोकस भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में हुए तनाव, क्षेत्रीय सुरक्षा और आपसी सहयोग पर होगा। माना जा रहा है कि पाकिस्तान इस मौके का इस्तेमाल भारत पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाने के लिए करना चाहता है।
क्या है मामला?
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में भारत के 26 लोग मारे गए थे। इसके बाद भारत ने 7 मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाकर पाकिस्तान और पाक कब्जे वाले कश्मीर में आतंकियों के ठिकानों पर हमला किया। इस कार्रवाई में 100 से ज्यादा आतंकवादी मारे जाने की खबर है।
इसके बाद पाकिस्तान ने संघर्ष विराम समझौते का उल्लंघन करते हुए सीमा पार गोलीबारी और ड्रोन हमले किए। जवाब में भारत ने भी कड़ा एक्शन लिया और पाकिस्तान के कई एयरबेस और रडार सिस्टम तबाह कर दिए। आखिरकार 10 मई को दोनों देश सीजफायर पर सहमत हो गए।
भारत की नजर इस बैठक पर
भारत इस मीटिंग पर कड़ी नजर रखे हुए है। दिल्ली का मानना है कि पाकिस्तान, चीन के जरिए इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंच पर उठाने की कोशिश कर रहा है। भारत पहले ही साफ कर चुका है कि वह किसी तीसरे पक्ष की दखलअंदाजी नहीं मानेगा।
अफगानिस्तान की भूमिका भी अहम
इस बैठक में अफगानिस्तान के शामिल होने से साफ है कि पाकिस्तान और चीन अब तालिबान-शासित अफगानिस्तान को भी भारत के खिलाफ एक रणनीतिक साझेदार के रूप में इस्तेमाल करना चाहते हैं। इससे भारत की ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ और अफगान नीति पर भी दबाव पड़ सकता है।
क्या पाकिस्तान नई चाल चल रहा है?
सवाल उठ रहा है कि क्या पाकिस्तान इस मीटिंग के जरिए सीजफायर के बाद नया कूटनीतिक मोर्चा खोलने की तैयारी कर रहा है? या फिर यह भारत के हमलों से हुई साख की चोट को संभालने की कोशिश है?
फिलहाल बीजिंग में होने वाली इस मीटिंग पर भारत समेत पूरे क्षेत्र की नजरें टिकी हैं।


