अरब देशों का स्विट्जरलैंड कहा जाता था लेबनान:शिया-सुन्नी और ईसाइयों से मिलकर बना

लेबनान को अक्सर अरब देशों का स्विट्ज़रलैंड कहा जाता था। इसकी खूबसूरत पहाड़ियाँ, समृद्ध संस्कृति, और विविधता इसे एक खास पहचान देती थी। लेकिन, लेबनान की कहानी सिर्फ खूबसूरती और समृद्धि की नहीं है; यह एक राजनीतिक और धार्मिक संघर्षों की भी कहानी है।

लेबनान की स्थापना और विविधता:

  • लेबनान एक ऐसा देश है जहाँ शिया, सुन्नी, और ईसाइयों का एक साथ निवास है। यहाँ की सांस्कृतिक विविधता इसे एक अद्वितीय पहचान देती थी।
  • इस विविधता के कारण, लेबनान ने एक सहिष्णु और समावेशी समाज की छवि बनाई, जो इसे अन्य अरब देशों से अलग बनाता था।

फिलिस्तीन की दोस्ती:

  • लेबनान ने फिलिस्तीनी आंदोलन का समर्थन किया और कई फिलिस्तीनी शरणार्थी युद्ध के समय यहाँ शरण लिए।
  • यह मित्रता लेबनान के भीतर राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित करने लगी, जहाँ शिया और सुन्नी समूहों में तनाव बढ़ने लगा।

इजराइल की दुश्मनी:

  • इजराइल के साथ लेबनान का संबंध तनावपूर्ण रहा। इजराइल ने कई बार लेबनान पर हमला किया, विशेषकर 1982 के लेबनान युद्ध के दौरान।
  • इस युद्ध ने लेबनान की राजनीतिक स्थिति को और अधिक कमजोर कर दिया, जिससे देश में गृहयुद्ध की स्थितियाँ पैदा हुईं।

लेबनान के पतन के कारण:

  1. गृहयुद्ध (1975-1990):
    लेबनान में गृहयुद्ध ने देश को बर्बाद कर दिया। विभिन्न धार्मिक और राजनीतिक समूहों के बीच लड़ाई ने हजारों लोगों की जानें लीं और देश की अर्थव्यवस्था को तबाह कर दिया।
  2. बाहरी हस्तक्षेप:
    इजराइल, सीरिया और अन्य देशों के हस्तक्षेप ने स्थिति को और भी जटिल बना दिया। बाहरी शक्तियों ने अपने-अपने हितों के लिए लेबनान में दखल दिया, जिससे संघर्ष और बढ़ गया।
  3. आर्थिक संकट:
    गृहयुद्ध के बाद भी, लेबनान आर्थिक संकट से जूझता रहा। भ्रष्टाचार और राजनीतिक अस्थिरता ने आर्थिक विकास को बाधित किया, जिससे जनता का जीवनस्तर गिर गया।
  4. धार्मिक टकराव:
    शिया, सुन्नी और ईसाई समुदायों के बीच संघर्ष ने समाज में विभाजन को बढ़ावा दिया। इसने न केवल राजनीतिक अस्थिरता पैदा की बल्कि समाज में घृणा और भेदभाव को भी बढ़ाया।

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